अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण के बारे में उपबन्ध
अजजा प्रशासन और नियंत्रण
भाग-क साधारण
1. निर्वचन - इस अनुसूची में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, " राज्य " पद के अंतर्गत असम, मेघालय, त्रिपुरा, और मिजोरम राज्य नहीं हैं।2. अनुसूचित क्षेत्रों में किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति- इस अनुसूची के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार उसके अनुसूचित क्षेत्रों पर है।
3. अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा प्रतिवेदन- ऐसे प्रत्येक राज्य का राज्यपाल, जिनमें अनुसूचित क्षेत्र हैं, प्रतिवर्ष या जब भी राष्ट्रपति इस प्रकार अपेक्षा करे, उस राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में राष्ट्रपति को प्रतिवेदन देगा और संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार राज्य को उक्त क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में निर्देश देने तक होगा।
भाग-ख
अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों का प्रशासन और नियंत्रण
4. जनजाति सलाहकार परिषद -(1) ऐसे प्रत्येक राज्य में, जिनमें अनुसूचित क्षेत्र हैं और यदि राष्ट्रपति ऐसा निर्देश दे तो, किसी ऐसे राज्य में भी जिसमें अनुसूचित जनजातियां हैं, किन्तु अनुसूचित क्षेत्र नहीं हैं, एक जनजाति सलाहकार परिषद् स्थापित की जाएगी जो बीस से अनधिक सदस्यों से मिलकर बनेगी जिनमें से यथाशक्य निकटतम तीन चौथाई उस राज्य की विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधि होंगे।
परन्तु यदि उस राज्य की विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधियों की संख्या जनजाति सलाहकार परिषद् में ऐसे प्रतिनिधियों से भरे जाने वाले स्थानों की संख्या से कम है तो शेष स्थान उन जनजातियों के अन्य सदस्यों से भरे जाएंगे।
(2) जनजाति सलाहकार परिषद् का यह कर्तव्य होगा कि वह उस राज्य की अनूसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से संबंधित ऐसे विषयों पर सलाह दे जो उसको राज्यपाल द्वारा निर्दिष्ट किए जाएं।
(3) राज्यपाल-
(क) परिषद् के सदस्यों की संख्या को, उनकी नियुक्ति की और परिषद् के अध्यक्ष तथा उसके अधिकारियों और सेवकों की नियुक्ति की रीति को
(ख) उसके अधिवेशनों के संचालन तथा साधारणतया उसकी प्रक्रिया को, और
(ग) अन्य सभी आनुषंगिक विषयों को, यथा स्थिति, विहित या विनियमित करने के लिए नियम बना सकेगा।
5. अनुसूचित क्षेत्रों को लागू विधि - (1) इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी राज्यपाल लोक अधिसूचना द्वारा निदेश दे सकेगा कि संसद का या उस राज्य के विधान-मण्डल का कोई विशिष्ट अधिनियम उस राज्य के अनुसूचित क्षेत्र या उसके किसी भाग को लागू नहीं होगा अथवा उस राज्य के अनुसूचित क्षेत्र या उसके किसी भाग को ऐसे अपवादों और उपांतरणों के अधीन रहते हुए लागू होगा जो वह अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे और इस उप पैरा के अधीन दिया गया कोई निर्देश इस प्रकार दिया जा सकेगा कि उसका भूतलक्षी प्रभाव हो।
(2) राज्यपाल किसी राज्य में किसी ऐसे क्षेत्र की शांति और सुशासन के लिए विनियम बना सकेगा जो तत्समय अनुसूचित क्षेत्र है। विशिष्टितया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे विनियम -
(क) ऐसे क्षेत्र की अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के सदस्यों द्वारा या उनमें भूमि के अन्तरण का प्रतिषेध या निर्बंधन कर सकंेगे:
(ख) ऐसे क्षेत्र के जनजातियों के सदस्यों को भूमि के आबंटन का विनियमन कर सकेंगे ;
(ग) ऐसे व्यक्तियों द्वारा जो ऐसे क्षेत्र की अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों को धन उधार देते हैं, साहूकार के रूप में कारबार करने का विनियमन कर सकेंगे।
(3) ऐसे किसी विनियम को बनाने में जो इस पैरा के उप पैरा (2) में निर्दिष्ट है, राज्यपाल संसद के या उस राज्य के विधानमण्डल के अधिनियम का या किसी विद्यमान विधि का, जो प्रश्नगत क्षेत्र में तत्समय लागू है, निरसन या संशोधन कर सकेगा।
(4) इस पैरा के अधीन बनाए गए सभी विनियम राष्ट्रपति के समक्ष तुरन्त प्रस्तुत किए जाएंगे और जब तक यह उन पर अनुमति नहीं दे देता है तब तक उनका कोई प्रभाव नहीं होगा।
(5) इस पैरा के अधीन कोई विनियम तब तक नहीं बनाया जाएगा जब तक विनिमय बनाने वाले राज्यपाल ने जनजाति सलाहकार परिषद् वाले राज्य की दशा में ऐसी परिषद् से परामर्श नहीं कर लिया है।
भाग-ग
अनुसूचित क्षेत्र
6. अनुसूचित क्षेत्र - (1) इस संविधान में ‘‘ अनुसूचित क्षेत्र पद से ऐसे क्षेत्र अभिप्रेत हैं जिन्हें राष्ट्रपति आदेश द्वारा अनुसूचित क्षेत्र घोषित करें ।
(2) राष्ट्रपति किसी भी समय आदेश द्वारा -
(क) निदेश दे सकेगा कि कोई सम्पूर्ण अनुसूचित क्षेत्र या उसका कोई विनिर्दिष्ट भाग अनुसूचित क्षेत्र या ऐसे क्षेत्र का भाग नहीं रहेगा ;
(कक) किसी राज्य के किसी अनुसूचित क्षेत्र के क्षेत्र को उस राज्य के राज्यपाल से परामर्श करने के पश्चात बढ़ा सकेगा ;
(ख) किसी अनुसूचित क्षेत्र में, केवल सीमाओं का परिशोधन करके ही, परिवर्तन कर सकेगा,
(ग) किसी राज्य की सीमाओं के किसी परिवर्तन पर या संघ में किसी नए राज्य के प्रवेश पर या नए राज्य की स्थापना पर ऐसे किसी क्षेत्र को, जो पहले से किसी राज्य में सम्मिलित नहीं हैं, अनुसूचित क्षेत्र या उसका भाग घोषित कर सकेगा,
(घ) किसी राज्य या राज्यों के संबंध में इस पैरा के अधीन किए गए आदेश या आदेशों को विखण्डित कर सकेगा और संबंधित राज्य के राज्यपालन से परामर्श करके उन क्षेत्रों को, जो अनुसूचित क्षेत्र होंगे, पुनः परिनिश्चित करने के लिए नए आदेश कर सकेगा,
और ऐसे किसी आदेश में ऐसे आनुषंगिक और पारिणामिक उपबन्ध हो सकेंगे जो राष्ट्रपति को आवश्यक और उचित प्रतीत हों, किन्तु जैसा उपर कहा गया है उसके सिवाय इस पैरा के उप पैरा (1) के अधीन किए गए आदेश में किसी पश्चातवर्ती आदेश द्वारा परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
भाग-घ
अनुसूचित का संशोधन
7. अनुसूची का संशोधन - (1) ससंद , समय-समय पर विधि द्वारा, इस अनुसूची के उपबन्धों में से किसी का, परिवर्धन, परिवर्तन या निरसन के रूप में, संशोधन कर सकेगी और जब अनुसूची का इस प्रकार संशोधन किया जाता है तब इस संविधान में इस अनुसूची के प्रति किसी निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह इस प्रकार संशोधित ऐसी अनुसूची के प्रति निर्देश है। (2) ऐसी कोई विधि, जो इस पैरा के उपपैरा (1) में उल्लिखित है, इस संविधान के अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन नहीं समझी जाएगी।