जाति प्रमाण-पत्र हेतु आवेदन -पत्र के साथ प्रस्तुत किए जाने वाले दस्तावेज
सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण पत्र (जाति प्रमाण-पत्र) नियम, 2013 के नियम 3 (3) के द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि आवेदन पत्र के साथ किन-किन दस्तावेजों को संलग्न किया जाना है।
उक्त दस्तावेजों का विवरण निम्नानुसार है:-
1. शपथपत्र
2. पटवारी द्वारा जारी वंशवृक्ष
3. Cut Off Date (राष्ट्रपति अधिसूचना की तिथि अथवा अन्य पिछड़े वर्ग की अधिसूचना तिथि, यथास्थिति) के पूर्व से, छत्तीसगढ़ की भौगोलिक सीमा में निवास करने से संबंधित दस्तावेज।
4. मध्यप्रदेष पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य संवर्ग में आबंटन आदेश तथा Cut Off Date के पूर्व से वर्तमान मध्यप्रदेष की भौगोलिक सीमा में निवास करने से संबंधित दस्तावेज (म.प्र. से छत्तीसगढ़ आए शासकीय कर्मचारियों की संतानों के संबंध में)
5. निम्नांकित में से कोई दस्तावेज।
(क) पूर्वजों के राजस्व दस्तावेज (मिसल)
(ख) जमाबंदी (सर्वे) या गिरदावरी,
(ग) राज्य बंदोबस्त,
(घ) अधिकार अभिलेख (1954),
(ड) जनगणना (1931),
(च) वन विभाग की जमाबंदी,
(छ) नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (1949)
(ज) जन्म या मृत्यु पंजी,
(झ) यदि पिता अथवा पूर्वज शिक्षित थे, तो दाखिल खारिज पंजी,
(ञ) पिता, पूर्वज अथवा रिष्तेदार को पूर्व में जारी प्रमाण पत्र,
(ट) जहां जाति को प्रमाणित करने हेतु कोई दस्तावेजों का प्रमाण उपलब्ध न हो तो सभा द्वारा आवेदक की जाति के संबंध में पारित संकल्प,
6. आवेदक के पिता का पूर्व वर्ष का आय प्रमाण पत्र (अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए),
7. डाक टिकट सहित पूर्ण एवं स्पष्ट लिखा हुआ लिफाफा।
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जाति प्रमाण-पत्र जारी करने की सरलीकृत प्रक्रिया के मुख्य बिन्दु आवेदन करने की प्रक्रिया
1. आवेदक द्वारा निर्धारित प्रपत्र में शपथ-पत्र एवं अन्य दस्तावेजों के साथ सक्षम अधिकारी को आवेदन प्रस्तुत किया जाएगा।
डाक अथवा च्वाइस सेंटर के माध्यम से भी आवेदन किया जा सकेगा।
2. आवेदन प्राप्त होने पर आवेदक को अनिवार्यतः पावती उपलब्ध करायी जायेगी।
(A) जाति प्रमाण-पत्र जारी करने की प्रक्रिया
1. जाति प्रमाण-पत्र 01 माह में जारी किया जायेगा। पूर्व में यह अवधि 06 माह निर्धारित थी।
2. कक्षा 9 से 12 में अध्ययनरत विद्यार्थियों को स्कूलों के माध्यम से जाति प्रमाण-पत्र जारी किये जा रहे हैं। इसकी जांच औचक (रैंडम) पद्धति से की जाएगी।
3. इस सेवा को निकट भविष्य में छत्तीसगढ़ लोक सेवा गारंटी अधिनियम के दायरे में लाया जायेगा।
4. अस्थाई जाति प्रमाण-पत्र जारी करने वाले अधिकारी द्वारा ही अस्थाई जाति प्रमाण-पत्र करने के बाद आवेदक का आवेदन-पत्र स्थाई जाति प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए सक्षम अधिकारी को अग्रेषित किया जायेगा। पुनः आवेदन करने की जरूरत नहीं होगी।
5. जिन छात्र-छात्राओं के पिता, भाई-बहनों को विधिवत परीक्षण कर जाति प्रमाण-पत्र जारी किये हैं, उन्हें संपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत करने की आवष्यकता नहीं रहेगी। पूर्व में जारी प्रमाण-पत्र के आधार पर उन्हें प्रमाण पत्र जारी किया जायेगा।
6. स्थानीय निकायों के चुनाव एवं सभी चुनाव, जहां आरक्षण लागू है एवं अन्य लाभ प्राप्त करने के लिए तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार द्वारा अस्थाई जाति प्रमाण-पत्र जारी किया जायेगा।
7. सरपंचों और पार्षदों द्वारा केवल प्राइमरी तथा मिडिल स्कूल में प्रवेष तथा प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति एवं षिष्यवृत्ति के लिए ही अस्थायी जाति प्रमाण-पत्र जारी किया जायेगा, जो 06 माह के लिए वैध होगा।
8. जाति प्रमाण-पत्र हिन्दी के अलावा मांग किये जाने पर भारत सरकार द्वारा निर्धारित अंग्रेजी प्रारूप में भी जारी किया जा सकेगा।
(B) सबूत विषयक प्रक्रिया
1. अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के आवेदकों की 1950 की स्थिति में छत्तीसगढ़ में मूल निवास की स्थिति देखी जायेगी, किन्तु यदि उनके पास अपनी जाति को सिद्ध करने के लिए 1950 के पूर्व के दस्तावेज नहीं है, तो भी उनका आवेदन लेने से न तो इंकार किया जायेगा और न ही उसे निरस्त किया जायेगा। जाति प्रमाण-पत्र का आवेदन अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) अथवा उनके अधीनस्थ अधिकारी द्वारा की गयी जांच के आधार पर ही प्रमाण-पत्र जारी अथवा निरस्त किया जायेगा।
2. जाति के संबंध में सबूत हेतु अभिलेख उपलब्ध नहीं होने पर ग्राम सभा द्वारा आवेदक की जाति के संबंध में दिये गये साक्ष्य को भी आधार माना जा सकेगा। इसके अतिरिक्त संबंधित जाति के स्थानीय लोगों की गवाही को भी सबूत माना जायेगा। आवेदक अथवा उसके पालक द्वारा दिये गये शपथ-पत्र को भी साक्ष्य के रूप में विचार किया जा सकेगा।
(C) सत्यापन की प्रक्रिया
1. सरकारी नौकरी तथा व्यावसायिक शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए आवेदन-पत्र प्रस्तुत करते समय आवेदन के साथ ’’जाति प्रमाण-पत्र सत्यापन समिति’’ द्वारा
सत्यापित जाति प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना आवश्यक नहीं होगा।
2. जिले में जारी किये गये जाति प्रमाण-पत्र में से लगभग 10% उम्मीदवारों के जाति प्रमाण-पत्रों को औचक (रैण्डम) पद्धति से चयन कर सत्यापित किया जायेगा।
शासकीय नौकरी अथवा शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए चयनित सफल उम्मीदवारों में यदि किसी की जाति प्रमाण-पत्र संदेहास्पद होने की शिकायत प्राप्त होगी, अथवा नियुक्तियां या संस्था प्रमुख को संदेहास्पद प्रतीत होगा, तो केवल उसके प्रमाण-पत्र का सत्यापन कराया जायेगा।
3. छानबीन की प्रक्रिया में जाति प्रमाण-पत्र गलत/फर्जी पाये जाने पर धारकों के विरूद्ध अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कठोर कार्यवाही की जायेगी। वर्तमान में प्रचलित व्यवस्था में विशिष्ट विधि के अभाव में गलत/फर्जी जाति प्रमाण-पत्र का लाभ लेने वाले व्यक्ति के विरूद्ध कार्यवाही करना कठिन था, जबकि गलत/फर्जी जाति प्रमाण-पत्र जारी करने वाले शासकीय अधिकारी के विरूद्ध विभागीय एवं दाण्डिक कार्यवाही कर दी जाती थी जिसके कारण जाति प्रमाण-पत्र जारी करने वाले सक्षम अधिकारी किसी प्रकार का जोखिम नहीं लेना चाहते थे। नये कानून में सद्भावपूर्वक की गयी कार्यवाही के लिए संरक्षण की व्यवस्था की गयी है। सिर्फ घोर लापरवाही अथवा मिलीभगत अथवा जालसाजी आदि के मामलों में ही अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी।