छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग प्रस्तावना
भारत के संविधान के अधीन या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन या राज्य सरकार के किसी आदेश के अधीन छत्तीसगढ़ की अनुसूचित जनजातियों के लिए उपबंधित रक्षोपायों से संबंधित सभी मामलों के अन्वेषण और अनुश्रवण तथा ऐसे रक्षोपायों की कार्य प्रणाली के मूल्यांकन के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राज्य विधानसभा से पारित मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति आयोग अधिनियम-1995 के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य में भी अनुसूचित जनजाति आयोग की स्थापना आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग, मंत्रालय, दाऊ कल्याण सिंह भवन, रायपुर द्वारा दिनांक-02.09.2002 को छत्तीसगढ़ राजपत्र असाधारण अधिसूचना जारी की गई, जिसमें क्रमांक/डी-4490/479/2002/आजावि विभाग की अधिसूचना डी-4226/479/2002/आजावि, दिनांक-16.08.2002 को अतिष्ठित करते हुए एवं मध्यप्रदेश पुर्नगठन अधिनियम-2002 (कमांक-28, सन्-2000) की धारा-79 द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए राज्य सरकार एतद् द्वारा निम्नलिखित आदेश बनाया गया है, अर्थात-
1. (एक) इस आदेश का संक्षिप्त नाम विधियों का अनुकूलन आदेश 2002 है।
(दो) यह 01.11.2000 के प्रथम दिन से सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में प्रवृत्त होगा।
2. उपांतरणों के अध्याधीन रहते हुए समस्त विधियों में शब्द मध्यप्रदेश जहां कहीं भी आए हो, के स्थान पर शब्द ‘‘छत्तीसगढ़‘‘ एवं शब्द भोपाल जहां कहीं भी आए हो, के स्थान पर शब्द ‘‘रायपुर‘‘ स्थापित किया जाए, जिसमें मध्यप्रदेश राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग अधिनियम-1995 एवं मध्यप्रदेश राज्य अनुसूचित जनजाति अधिनियम-1997 प्रभावशील होगी।
छत्तीसगढ़ शासन, सामान्य प्रशासन विभाग के अधिसूचना क्रमांक-186/2000, रायपुर दिनांक-12.11.2000 में अरूण कुमार मुख्य सचिव द्वारा आदेश जारी करते हुए श्री एस0एस0 मूर्ति, सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा सभी विभागाध्यक्षों, राज्यपाल एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय को प्रेषित किया गया है, जिसमें छत्तीसगढ़ प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों से संबंधित वर्तमान, सामाजिक, आर्थिक विकास के और कल्याणकारी कार्यक्रमों का गुणात्मक मूल्याकंन करना उसमें आवश्यक सुधार लाना अथवा नए कार्यक्रम लागू करना आवश्यक हो गया है।
अतः एतद् द्वारा राज्य शासन, छ0ग0 राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन करता है। आयोग द्वारा अनुसूचित जनजातियों के हित संवर्धन के लिए उपयुक्त नीतिगत संभावनाएॅं भी की जावेगी। आयोग स्वप्रेरणा से अनुसूचित जनजातियों से संबंधित किन्ही भी मामलों का संज्ञान ले सकेगा और ऐसे मामलों में निष्कर्षों पर शासन को प्रतिवेदन देगा। आयोग अपना प्रथम प्रतिवेदन तीन माह में देगा।
राज्य शासन एतद् द्वारा श्री राजेन्द्र पामभोई, विधायक, विधानसभा क्षेत्र, बीजापुर, दंतेवाड़ा को उनके कार्यभार सम्भालने की तिथि से आयोग का प्रथम अध्यक्ष नियुक्त करते हुए पद की गरिमा को देखते हुए राज्य शासन अनुसूचित जनजाति आयोग के मान0 अध्यक्ष को ‘‘ केबिनेट मंत्री‘‘ का समकक्ष घोषित किया गया।
आयोग में तीन से अनाधिक अन्य सदस्य होंगे। अन्य सदस्य होने तक राज्य शासन के प्रमुख सचिव, सचिव, अनुसूचित जनजाति को पदेन रूप से आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है। पूर्व में अनुसूचित जनजाति आयोग में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के शिकातयों पर संज्ञान में लेते हुए कार्यवाही की जाती रही है। वर्ष-2007 में पिछड़ा वर्ग आयोग एवं अनुसूचित जाति आयोग पृथक अस्तित्व में आने से इन वर्गों के शिकायतों पर सुनवाई एवं कार्यवाही उन्हीं आयोग में होने लगा है। आज भी पिछड़ा वर्ग एवं अनुसूचित जाति वर्ग के प्राप्त शिकायतों को संबंधित अयोग को प्रेषित की जाती है।
मान. श्री भानु प्रताप सिंह, अध्यक्ष, एवं मान. सुश्री राजकुमारी दीवान उपाध्यक्ष एवं सदस्य के कुशल नेतृत्व में आयोग अपनी सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करते हुए अनुसूचित जनजाति वर्ग के प्राप्त शिकायतों पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए आयोग के अधिनियम-1995 की धारा-9 एवं 10 को संज्ञान में लेकर पंजीबद्ध योग्य प्रकरण को उभय पक्षों के कथन, साक्ष्य, दस्तावेजों के आधार पर कार्यवाही हेतु संबंधित विभाग को प्रेषित की जाती है।
छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग का वर्तमान कार्यालय - पुराना लोकसेवा आयोग कार्यालय, भगत सिंह चौक के पास, शंकर नगर रोड, रायपुर (छत्तीसगढ़)पर संचालित है। छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग एक संवैधानिक संस्था के रूप में अपने अस्तित्व के लगभग 22 वर्ष का समय पूर्ण कर लिया है।
आयोग का कार्यक्षेत्र व्यापक है और उसमें अनुसूचित जनजाति के कल्याण और विकास से संबंधित सुरक्षात्मक तथा समस्या निवारण दोनों सम्मिलित है। इस वार्षिक प्रतिवेदन में आयोग द्वारा वित्तीय वर्ष में की गई गतिविधियों, सुनवाईयां व शासन को भेजी गई संस्तुतियों व सुझावों को एक अभिलेख के रूप में समाहित किया है। इसके साथ ही शासन द्वारा आयोग की संस्तुतियों पर की गयी कार्यवाही व अनुसूचित जनजाति से संबंधित महत्वपूर्ण शासनादेशों को संकलित कर इसमें सम्मिलित किया गया है।
आयोग द्वारा अनुसूचित जनजातियों के व्यक्तियों की शिकायतों को उपयुक्त स्तर के संबंधित प्राधिकारियों को उचित निष्कर्ष और सिफारिशों के साथ तत्काल कार्यवाही के लिए भेजी जाती है। आयोग द्वारा सीमित संसाधनों में अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक हितों के संरक्षण के लिए यथासंभव कार्यवाही की गई है।
आयोग द्वारा शिकायतों के सफल निराकरण निक्षेपण में छ.ग. शासन के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिवों, अपर सचिवों, समस्त विभागाध्यक्षों, जिलाधिकारियों तथा पुलिस अधीक्षकों का भरपूर सहयोग आयोग को प्राप्त होते आया है। प्रदेश में अनुसूचित जनजाति वर्ग के अधिकारों का संरक्षण होता रहे इसके लिए आयोग ने अपने आपको दृढ़ हितप्रहरी संस्था के स्वरूप में संस्थापित किया है। छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग अनुसूचित जनजाति वर्ग के सर्वोत्तम लाभ व उनके अधिकारों के हितार्थ निरन्तर अपनी गतिविधियॉं बढ़ाने की ओर अग्रसर है।