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आवेदन का प्रारूप

छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग की अधिसूचना क्रमांक- 186/2000 दिनांक- 12.11.2000 द्वारा नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य में अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन किया गया ।

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आयोग में आवेदन का प्रारूप

अनुसूचित जनजाति का कोई भी व्यक्ति सादे कागज पर अथवा शपथ पत्र के साथ या स्‍वयं के पास उपलब्‍ध अभिलेखों सहित सीधे राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग कार्यालय में स्वयं उप्स्थित होकर या अध्य्क्ष / सदस्यों या आयोग में सचिव से वयक्तिगत सम्पर्क कर आवेदन दे सकते है ।

आवेदन पत्र का प्रारूप को डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें |



अनुसूचित जनजाति का कोई भी व्यक्ति अपना आवेदन डाक द्वार भी राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के कार्यालय के पते पर भेज सकते है ।
  • छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग
  • 61, जलविहार कॉलोनी, रायपुर (छत्तीसगढ़), पिन कोड - 492001
  • Phone No : +91-0771-2445621, 2434787
  • Email : staayog48@gmail.com

अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत् आवेदन एवं कार्यवाही

किसी भी गैर अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के व्यक्तियों के साथ लड़ाई, झगड़ा, मारपीट, गाली-गलौच, हत्या बलात्कार, धमकी, भूमि पर कब्जा या अन्य अमानवीय अपराध करने की कोशिश करता है या अपराध करता है तो अत्याचार निवारण अधिनियम-1989 के तहत शिकायत् तत्काल करना चाहिए-

1- ऐसे अपराधों पर तत्काल शिकायत निकटतम चौकी/थाना में किये जाने का प्रावधान/नियम है।

2- यदि थाना प्रभारी रिपोर्ट लिखने से मना करता है तो लिखित सूचना देना चाहिए। सूचना की एक प्रति में पावती प्राप्त करनी चाहिए।

3- यदि थाना प्रभारी/मुंशी द्वारा जिला आजाक थाना में जाने की बात करता है तो भी थाना में शिकायत देकर प्रति पावती प्राप्त करनी होगी।

4- यदि थाना प्रभारी/मुंशी द्वारा रिपोर्ट लेने या लिखने से मना करता है तो तत्काल उसी समय डाक रजिस्ट्री या कोरियर के माध्यम से रिपोर्ट भेजनी चाहिए कि कब, कहॉ, किस समय और कैसे घटना घटा, इसके लिए कौन-कौन जिम्मेदार है का उल्लेख करते हुए यह शिकायत करनी होगी की पीड़ित आवेदक/आवेदिका द्वारा किस तिथि को, कितने समय, किस थाना में रिपोर्ट लिखने गया/गयी थी। कौन थाना प्रभारी/मुंशी थाना में थे और किसने रिपोर्ट लेने/लिखने से इंकार किया था, भेजते हुए पावती भी लेना चाहिए यदि घटना की रिपोर्ट तथा थाना द्वारा लेने से इंकार किया की जानकारी उसी तिथि, समय में पुलिस अधीक्षक को भी भेजनी होगी।

5- घटना की जानकारी यदि थाना प्रभारी/मुंशी/पुलिस उप अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक के साथ-साथ उप पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस महानिदेशक, गृह विभाग के अवर/उप/विशेष/प्रमुख/अपर मुख्य सचिव को भी भेजना चाहिए तथा पावती भी डाक/कोरियर के माध्यम से प्राप्त करनी चाहिए।

6- यदि पीड़ित मोबाईल, वाट्सअप, कंट्रोल रूम का नम्बर, ई-मेल न हो तो इसके माध्यम से भी घटना की शिकायत थाना के मुंशी/थाना प्रभारी, उप पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, गृह विभाग के अपर, उप, संयुक्त, विशेष प्रमुख, अपर मुख्य सचिव के मोबाईल नम्बर मैसेज, वाट्सअप, ई-मेल पर घटना की जानकारी समय, तिथि आदि की जानकारी के माध्यम से रिपोर्ट कर सकते, सूचना दे सकते है।

7- यदि इन सभी अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट लेने से इंकार करते है तो उन्हें तथा मैसेज, वाट्सअप, ई-मेल पर कार्यवाही नहीं करते है तो इनकी उन्ही नम्बरों से दूरभाष पर भी घटना की जानकारी दे सकते है। जिसमें दिनांक, समय अंकित हो जाता है तथा मैसेज, वाट्अप एवं ई-मेल की जानकारी भी दूरभाष पर दे सकते है, जो पीड़ित पक्ष के सबूत के रूप में भी दोषी के विरूद्ध काम आ सकता है।

8- आजकल पुलिस विभाग में पुलिस कंट्रोल रूम के साथ एक दूरभाष नम्बर भी दिया जाता है, जिस पर घटना की जानकारी लैंडलाईन में बताकर या उनके मोबाईल पर दे सकते है।

9- यदि इन सभी अधिकारियों ने रिपोर्ट लिखने, लेने से इंकार करता है या रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद भी कार्यवाही नहीं करता है तो विशेष न्यायालय, जिला न्यायालय में अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा-4 के तहत् कार्य जवाबदार अधिकारियों के द्वारा कार्य पर लापरवाही, गैर जिम्मेदारी के लिए वाद लाना चाहिए। सभी रिपोर्ट की प्रति मैसेज, वाट्सअप, ई-मेल, विडियो ग्राफी, फोटोशुट की एक प्रति भी स्पष्ट रूप से रखे।

10- विशेष थाना में यह भी आवश्यक रूप से पीड़ित अधिवक्ता या शासन के अधिकृत या स्वयं अपनी बात रख सकते है, कि घटना के समय यदि रात्रि में या दिन में घर के अंदर या बाहर, घर परिवार या समाज, पड़ोसी द्वारा देखे जाने पर इसका उल्लेख आवश्यक करना चाहिए। यदि घटना का गवाह गैर अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति है तो कथन बदलने, मुकरने आदि की बात सामने आ जाने की संभावना हो सकती है। ऐसी स्थिति में हो सके तो रू. 100/- गैर न्यायिक स्टाम्प देकर कथन करा लेनी चाहिए यदि सम्भव हो सके तो नोटरी भी करा लेनी चाहिए।

11- यदि ऐसी घटनाओं पर पुलिस अधिकारी या अन्य विषय पर विभागीय अधिकारी द्वारा अपनी बातों से मुकरने या संजीदगी से कार्य करने में लापरवाही बरतते है या आपके अधिवक्ता/शासकीय अधिवक्ता द्वारा भी बेईमानी या धोखाधड़ी करता या विरोधियों या उनके अधिवक्ता से सांठगांठ करने की जानकारी होने पर मान. सक्षम न्यायालय में मान. न्यायधीश महोदय के समक्ष शिकायत अवश्य करनी चाहिए, ताकि मान0 न्यायालय से अन्य अधिवक्ता की व्यवस्था करने हेतु निवेदन भी करनी चाहिए।

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